चमडिया लॉ क्लासेस मे आप सबका एक बार फिर स्वागत हैं | आज की पोस्ट मे हम परिसीमा अधिनियम, 1963 के बारे मे पढ़ेंगे |
परिसीमा अधिनियम, 1963 से न्यायिक सेवा परीक्षा मे आए हुए प्रश्नों का अध्ययन करेंगे और जो प्रश्न पेपर में आने की संभावना हो सकती हैं उन्हे भी पढ़ेंगे |
परिसीमा अधिनियम, 1963 से न्यायिक सेवा परीक्षा मे आए हुए प्रश्नों का अध्ययन करेंगे और जो प्रश्न पेपर में आने की संभावना हो सकती हैं उन्हे भी पढ़ेंगे |
प्रश्न :- परिसीमा काल (अवधि) क्या हैं ? अथवा
परिसीमा अवधि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- परिसीमा अधिनियम की धारा 2 मे इसकी परिभाषा दी गई हैं | परिसीमा काल से वह काल अभिप्रेत है, जो किसी वाद, अपील या आवेदन के लिए अनुसूची द्वारा विहित है |
परिसीमा अवधि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- परिसीमा अधिनियम की धारा 2 मे इसकी परिभाषा दी गई हैं | परिसीमा काल से वह काल अभिप्रेत है, जो किसी वाद, अपील या आवेदन के लिए अनुसूची द्वारा विहित है |
प्रश्न :- परिसीमा अधिनियम कब लागू हुआ ?
उत्तर:- 1 जनवरी 1964
उत्तर:- 1 जनवरी 1964
प्रश्न :- परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 2(ठ) के अंतर्गत 'वाद' में सम्मिलित हैं
उत्तर:- वाद मे अपील या आवेदन नहीं आता है |
उत्तर:- वाद मे अपील या आवेदन नहीं आता है |
प्रश्न :- परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 6 के तहत, वाद संस्थित करने या डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन के लिए आवेदन के समय, विधिक निर्योग्यताए कौन सी है ?
उत्तर:- अप्राप्तवयता, पागल एवं जड़ता ।
उत्तर:- अप्राप्तवयता, पागल एवं जड़ता ।
प्रश्न :- परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 6 में प्रावधित विधिक निर्योग्यताओं के आधार पर निम्न में किसके आवेदन के लिए काल अवधि रुकी रहेगी ?
उत्तर:- वाद एवं डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन ।
उत्तर:- वाद एवं डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन ।
प्रश्न :- निषेधाज्ञा के अलावा डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन कितने वर्षों के भीतर किया जाना हैं ?
उत्तर:- तीन वर्ष ।
उत्तर:- तीन वर्ष ।
प्रश्न :- मियाद बाधित अर्थात समय वर्जित से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:- समय वर्जित का आशय उस समय से होता है जो इस अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट समय से बाहर है अर्थात इस अधिनियम द्वारा किसी कार्यवाही के लिए समय बीत जाने के बाद जो कार्यवाही न्यायालय में दायर की जाती है वह मियाद बाधित होने के कारण खारिज कर दी जाती है और उसके द्वारा किसी अधिकार के प्रवर्तन का उपचार बाधित हो जाता है ।
उत्तर:- समय वर्जित का आशय उस समय से होता है जो इस अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट समय से बाहर है अर्थात इस अधिनियम द्वारा किसी कार्यवाही के लिए समय बीत जाने के बाद जो कार्यवाही न्यायालय में दायर की जाती है वह मियाद बाधित होने के कारण खारिज कर दी जाती है और उसके द्वारा किसी अधिकार के प्रवर्तन का उपचार बाधित हो जाता है ।
प्रश्न :- परिसीमा अधिनियम के अनुसार विधिक कार्यवाहियों में समय का अपवर्जन किस प्रकार किया जाएगा ?
उत्तर:- 1. किसी वाद, अपील या आवेदन के परिसीमा काल में वह दिन अपवर्जित कर दिया जाएगा जिससे ऐसे परिसीमा काल की गणना की जानी है |
2. अपील के लिए अथवा आवेदन के लिए पुनरीक्षण या निर्णय के पुनर्विलोकन के लिए वह दिन अपवर्जित कर दिया जाएगा जिस दिन निर्णय सुनाया गया |
3. डिक्री दण्डादेश या आदेश जिसकी अपील या पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन ईप्सित है, प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय अपवर्जित कर दिया जाएगा |
4. जहां कि डिक्री या आदेश की अपील की जाती है पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन चाहा गया है या अपील की इजाजत के लिए आवेदन किया जाता है वहा उस निर्णय की प्रतिलिपि अभिप्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय का अपवर्जन कर दिया जाएगा |
5. किसी पंचाट के पास किए जाने के लिए आवेदन के परिसीमा कल की संगणना करने में पंचाट की प्रतिलिपि अभिप्राप्त करने में लगा समय अपवर्जित कर दिया जाएगा |
उत्तर:- 1. किसी वाद, अपील या आवेदन के परिसीमा काल में वह दिन अपवर्जित कर दिया जाएगा जिससे ऐसे परिसीमा काल की गणना की जानी है |
2. अपील के लिए अथवा आवेदन के लिए पुनरीक्षण या निर्णय के पुनर्विलोकन के लिए वह दिन अपवर्जित कर दिया जाएगा जिस दिन निर्णय सुनाया गया |
3. डिक्री दण्डादेश या आदेश जिसकी अपील या पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन ईप्सित है, प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय अपवर्जित कर दिया जाएगा |
4. जहां कि डिक्री या आदेश की अपील की जाती है पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन चाहा गया है या अपील की इजाजत के लिए आवेदन किया जाता है वहा उस निर्णय की प्रतिलिपि अभिप्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय का अपवर्जन कर दिया जाएगा |
5. किसी पंचाट के पास किए जाने के लिए आवेदन के परिसीमा कल की संगणना करने में पंचाट की प्रतिलिपि अभिप्राप्त करने में लगा समय अपवर्जित कर दिया जाएगा |