VOLENTI NON FIT INJURIA( स्वेच्छा से उठाई गयी क्षति)

Adv. Madhu Bala
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There are certain defences against the Tortious liability which a defendant can plead to avoid his liability under tort. 
General defences are in favour of defendant "Volenti non fit injuria" means no man can enforce a right which he has voluntarily waived for abandoned. "Volenti non fit injuria" mans harmful voluntary cannot be enforced it means if a person consent to take some injury or harm he cannot so the other if such injury is inflicted upon him the consent may be expressed by words or implied by conduct. But consent must be free.

वादी की सहमति से किये गए कार्य कानून की दृष्टि में क्षतिकारी नहीं होते  इसलिए अनुयोज्य भी नहीं होते । स्वेच्छा से उठाई गई हानि कभी भी कानूनी क्षति नहीं मानी जाती है और न उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही की जाती है इस सिद्धांत को "स्वेच्छा से उठाए गए क्षति, क्षति नहीं होती" के सूत्र से अभिव्यक्त किया जाता है।
कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनमें हम स्वेच्छा से हानि उठाने की सहमति अभिव्यक्त या विवक्षित रूप से देते हैं जैसे :-शल्यक्रिया के लिए चिकित्सक को सहमति देना ।
क्रिकेट या अन्य खेल के दौरान खिलाड़ी की विवक्षित सहमति होती है कि यदि उसे कोई चोट लगेगी तो वह स्वयं उसके लिए जिम्मेदार होगा। अर्थात खतरा उठाने की उसकी विवक्षित सहमति होती है तो इसके लिए कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती इसका अर्थ है कि जहां व्यक्ति स्वेच्छा से नुकसान उठाता है वहां कानूनी क्षति नहीं होती है


स्मिथ बनाम बेकर (1891) SC.325

इस वाद में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने आप किसी घटना को आमंत्रित करता है या उसकी सहमति से वह घटना घटित होती है तो भले ही वह उसके परिणाम से अपहानि उठाएं वह घटना इस प्रकार अनुचित या गलत नहीं समझी जाएगी कि उस पर कोई कानूनी कार्यवाही की जाए।


सिद्धांत यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने हित का स्वयं अच्छा निर्णायक होता है यदि वह जानबूझकर कोई खतरा मोल लेता है तो कानून की दृष्टि में उसकी वह क्षति महत्वपूर्ण नहीं समझी जाती। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति अपने किसी अधिकार को त्याग देता है तो वह उसका फिर से लाभ नहीं ले सकेगा इस उक्ति के अंतर्गत उपलब्ध बचाव का आधार सहमति या अनुज्ञप्ति होती है।


Imperial chemical industries versus shatwal (1965) SC. 656

इस वाद में भी "वॉलेंटी नोंन फिट इंजुरिया" का सिद्धांत लागू किया गया।

इस सिद्धांत की आवश्यक शर्तें

1.  खतरे का ज्ञान होना, खतरा उठाने के लिए सहमति देने से भिन्न है _ यह अपवाद सहमति ( Volenti non fit injuria) पर आधारित है, ज्ञान ( Scienti non fit injuria) पर आधारित नहीं है ।सिर्फ खतरे का ज्ञान होने से ही खतरा उठाने के लिए सहमति नहीं मान ली जाती है।( Knowledge does not necessarily imply consent) ।अर्थात किसी व्यक्ति को यदि कार्य के खतरनाक होने का ज्ञान है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उसने खतरा उठाने की सहमति भी दे दी है।

2.  सहमति स्वेच्छा से दी गई हो _ सहमति स्वतंत्र होनी चाहिए अर्थात ने दो-दो बाप के द्वारा और ना ही प्रभाव का प्रयोग करके प्राप्त की गई हो। यदि कोई सहमति धोखे से या दुर्व्यपदेशन (Misrepresentation) द्वारा प्राप्त की गई है तो यह सहमति स्वतंत्र तथा स्वेच्छा से दी गई सहमति नहीं मानी जाएगी ।

3.  गैर कानूनी कार्य के लिए सहमति नहीं दी जा सकती (no consent can be given for illegal act)_ जिस कार्य के लिए सहमति दी गई है वह गैरकानूनी नहीं होना चाहिए जैसे :- तेज धारदार वाले हथियारों से द्वंद युद्ध करना ।सम्मति किसी गैर कानूनी कार्य को कानूनी नहीं बना सकती है यदि अपकृत्य अपराध रूप में है तो सहमति उसे वैध नहीं बना सकती है। कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध करने की अनुमति नहीं दे सकता है।




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