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Monday, August 24, 2020

Indian penal code 1860 abetment section 112 to 120 communicative punishment for act abetment




Sec 112 :-

दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दंड से दण्डनीय है :-

जब दुष्प्रेरण एक कार्य को हो और दूसरा कार्य हो जाए तब दुष्प्रेरण का दायित्व उस अपराध तक बढ़ जाता है लेकिन अन्य कार्य पूर्व कार्य का अधिसंभाव्य परिणाम होना चाहिए यदि ऐसा होता है तो दुष्प्रेरक अन्य अपराध के लिए भी दायित्वधीन होगा ।

Ex:-

 B, को 'A' बलपूर्वक करस्थम का प्रतिरोध करने के लिए उकसाता है परिणाम स्वरूप 'B' लोक सेवक 'D'का बलपूर्वक प्रतिरोध करता है और उसे घोर उपहति कारित करता है B ने बलपूर्वक करस्थम का प्रतिरोध करने का और  घोर उपहति कारित करने का दो अपराध किए हैं। इसलिए B दोनों अपराध से दण्डित होगा । और यदि A यह संम्भाव्य जानता था कि उस करस्थम का प्रतिरोध करने में B घोर उपहति कारित करेगा तो A भी उनमें से हर एक अपराध के लिए दंडनीय होगा ।

 Sec 113:-

 दुष्प्रेरित कार्य से कारित प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरण द्वारा आशयित से भिन्न हो -


जब दुष्प्रेरक किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से कार्य का दुष्प्रेरण करता है और दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरुप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन है वह कार्य दुष्प्रेरक के द्वारा आशयित प्रभाव से भिन्न प्रभाव कारित करे तब दुष्प्रेरक कारित प्रभाव के लिए उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है मानो उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को कारित करने के आशय से किया गया हो परंतु यह तब होगा जब कि वह जानता था कि दुष्प्रेरित कार्य से वह प्रभाव कारित होना संभाव्य है ।

Sec 115:-

 मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण :-

 यदि अपराध नहीं किया जाता :-


दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से दंडनीय होगा।

यदि अपराध कर दिया जाए:-

दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 14 वर्ष तक की हो सकेगी दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

Sec 116 :- 

जो कोई कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण करेगा यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरूप ने किया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध इस संहिता में नहीं किया गया है ; तो वह उस अपराध के लिए उप बंधित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से जो अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से , दंडित किया जाएगा।

और यदि दुष्प्रेरण या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक हो, जिसका कर्तव्य ऐसे अपराध के लिए किए जाने को निवारित करना हो, तो वह दुष्प्रेरक उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो इस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।

Sec 118 :-


 जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध का किया जाना सुकर बनाने के आशय से या संभाव्यत:  तद्द्द्वारा सुकर बनाएगा यह जानते हुए,

 ऐसे अपराध किए जाने की (परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा या इंक्रिप्शन या हथियार छुपाने वाली किसी अन्य सूचना द्वारा स्वैच्छिक छिपाएगा) या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन करेगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है,

 यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए तो है दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा

 यदि अपराध न किया जाए, तो दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और दोनों दशाओं में हर एक में जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

 अपराध प्रवृति को छुपाना (concealing design to commit offence) 

सभी धाराएं 118,119 तथा 120 आरोपित अपराध को कारित करने में अभियुक्त को छोड़कर अन्य व्यक्तियों द्वारा योजना को छुपा रखने के बारे में परिकल्पना करती है । यह धाराएं केवल जुर्माने द्वारा दंडनीय अपराध को छोड़कर सभी अपराधों के छिपाए जाने पर लागू होती है धारा 107 के अधीन किसी अपराध को करने की योजना का छिपाया जाना (concealing the offence to disclose) दुष्प्रेरण गठित करता है। किसी भी व्यक्ति पर जो कि अपराध को छुपाता है, उसे प्रकट करने की बाध्यता अवश्य होनी चाहिए। दंड प्रक्रिया संहिता गंभीर प्रकृति के अनेक अपराधों (धारा 39, 40 CrPC) के संबंध में इस प्रकार की बातें सृजित करती है किसी अपराध का छिपाया जाना आपराधिक होने के लिए या तो साशय होना चाहिए या कम से कम यह इस ज्ञान से किया होना अवश्य होना चाहिए कि इससे अपराध का किया  जाना सुकर हो जाएगा ।

Sec 120 :- 

जो कोई उस अपराध का किया जाना जो कारावास से दंडनीय है सुकर बनाने के आशय से या संभाव्यत: तद् द्वारा सुकर बनाएगा यह जानते हुए ,

ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा छुपाएगा ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन करेगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है।
यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए तो वे उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी,

और यदि वह अपराध नहीं किया जाए ,  
तो वह ऐसे कारावास से , जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि के आठवें भाग तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।

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