क्षेत्राधिकार का क्या अभिप्राय है ?
किसी न्यायालय की विषय वस्तु की प्रकृति स्थानीयता एवं आर्थिक मूल्य के आधार पर वाद अपील का आवेदन ग्रहण करने की सक्षमता ।
आर्थिक मूल्य के आधार पर क्षेत्राधिकार
प्रत्येक वाद निम्नतम श्रेणी के न्यायालय में दायर किया जाएगा जो उसका विचारण करने में सक्षम है यहां धारा 15 न्यायालय का आर्थिक क्षेत्राधिकार बताती है |
धारा 15 :- वह न्यायालय जिसमें वाद दायर किया जाएगा |
- सिविल न्यायालय कनिष्ठ खंड ( 0 से 25,000/- तक )
- सिविल न्यायालय वरिष्ठ खंड (25,001 से 50,000 तक )
- जिला न्यायालय ( 50,001 से ऊपर )
स्थानीयता संबंधी क्षेत्राधिकार :-
स्थानीयता संबंधी उपबंध धारा 16 से 20 में दिए गए हैं |
वाद स्थानीय अधिकारिता रखने वाले सक्षम न्यायालय में पेश किया जाएगा |
धारा 16 :- वाद वहां दायर किए जाएंगे जहां वाद की विषय वस्तु स्थित है |
आर्थिक व अन्य सीमाओं में रहते हुए वह वाद जो अचल संपत्ति की वसूली व पुन:प्राप्ति के लिए, विभाजन के लिए ,पुरोबन्ध , विक्रय, मोचन, किसी हित , नुकसान के मुआवजे के लिए, व चल संपत्ति की पुन: प्राप्ति के लिए जो कुर्की के अधीन है वहां वाद दायर होंगे जहां ऐसी संपत्ति स्थित है |
धारा 17:- अचल संपत्ति अलग-अलग न्यायालय के क्षेत्राधिकार में हो |
ऐसी अचल संपत्ति के बारे में अनुतोष लेने या पहुंचे नुकसान का मुआवजा लेने के लिए ऐसे किसी भी न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता है जिसके क्षेत्राधिकार में उसका कोई भाग स्थित है किंतु शर्त यह है कि संपत्ति का संपूर्ण मूल्य उस न्यायालय के आर्थिक क्षेत्राधिकार में हो |
धारा 18 :- स्थानीय सीमा में अनिश्चितता |
ऐसी स्थिति में कोई भी न्यायालय अनिश्चितता रिकॉर्ड करके मामले का परीक्षण कर सकेगा |
धारा 19 :- शरीर या चल संपत्ति को पहुंचाई क्षति के लिए वाद
ऐसी स्थिति में वाद :-
जिस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में वे क्षति पहुंची है |
उस न्यायालय में जिस के क्षेत्राधिकार में प्रतिवादी निवास या कारोबार या लाभ के लिए कार्य करता है | में दायर किया जा सकता है |
जैसे :- A दिल्ली निवासी B के विरुद्ध कोलकाता में मानहानिकारक कथन प्रकाशित करता है B कहां वाद लाए कोलकाता अथवा दिल्ली कहीं पर वाद दायर कर सकता है |
जैसे :- A दिल्ली निवासी B के विरुद्ध कोलकाता में मानहानिकारक कथन प्रकाशित करता है B कहां वाद लाए कोलकाता अथवा दिल्ली कहीं पर वाद दायर कर सकता है |
धारा 20 :- अन्य वाद कहां दायर किए जाएंगे |
ऐसे वाद -
जहां प्रतिवादी निवास करें
और जहां वाद हेतुक पैदा हो
में दायर किए जाएंगे |
अथवा
ऐसे वाद ऐसे न्यायालय की स्थानीय क्षेत्राधिकार में दायर होंगे -
में दायर किए जाएंगे |
अथवा
ऐसे वाद ऐसे न्यायालय की स्थानीय क्षेत्राधिकार में दायर होंगे -
जहां प्रतिवादी या प्रतिवादियों में से प्रत्येक वाद प्रारंभ के समय वास्तव में स्वेच्छा निवास, कारोबार या लाभ हेतु कार्य करता है
प्रतिवादियों में से कोई वाद प्रारंभ के समय वास्तव में स्वेच्छया निवास, कारोबार या लाभ हेतु कार्य करता है किंतु-
(1) ऐसे मामलों में या तो न्यायालय की अनुमति ली गई हो या
(2) अन्य प्रतिवादी की सहमति ली गई हो
(3) वाद कारण पैदा हो |
जैसे -A हनुमानगढ़, B गंगानगर, C सूरतगढ़ निवास करता है तीनों बीकानेर इकट्ठे होते हैं वहां B और C संयुक्त वचन बना कर B व C को दे देते हैं बाद में दोनों वचन पालन से इनकार कर देते हैं | A बीकानेर में जहां वाद कारण पैदा हुआ वाद दायर कर सकेगा अथवा गंगानगर व सूरतगढ़ में से कहीं भी न्यायालय की अनुमति से या अन्य प्रतिवादी की सहमति से वाद दायर कर सकेगा |
Qus :- कभी-कभी पक्षकार करार कर लेते हैं कि विवाद की स्थिति में किसी स्थान विशेष के न्यायालय में ही दावा किया जाएगा क्या ऐसा करार किया जा सकता है ?
Ans :- हां, ऐसा करना स्पष्ट व अन्य न्यायालय की अधिकारिता का अपवर्जन करने वाला नहीं होना चाहिए वहां पर सक्षम न्यायालय होना चाहिए जो पक्षकारों द्वारा तय किया गया हो |
Very good knowledge
ReplyDeleteThank u
Delete👍👍
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