धारा 8 :- हेतु, तैयारी, पूर्व, पश्चात का आचरण :-
वाद या कार्यवाही में -
(A) पक्षकार
(B ) उसके एजेंट का
विवाधक और सुसंगत तथ्य के बारे में आचरण सुसंगत है ।
अपराध के अभियुक्त का पूर्ववर्ती या पश्चात का आचरण जो भी विवाधक या सुसंगत तथ्य को प्रभावित करता है सुसंगत होता है ।
शिनाख्त परेड (धारा 9)
Qus :- शिनाख्तगी की कार्यवाही से संबंधित विधि का उल्लेख करो ?
अथवा
सुसंगत तथ्य के स्पष्टीकरण या पुन:स्थापन (परिचय ) के लिए आवश्यक तथ्य कब सुसंगत होते हैं ?
Ans :- वे तथ्य
- जो भी विवाधक या सुसंगत तथ्य के स्पष्टीकरण या पुन:स्थापन के लिए आवश्यक है ।
- विवाधक या सुसंगत तथ्य द्वारा इंगित अनुमान का समर्थन या खंडन करते हैं ।
- व्यक्ति की पहचान स्थापित करते हैं ।
- वस्तु की पहचान स्थापित करते हैं ।
- घटना का समय और स्थान स्थापित करते हैं ।
- पक्षकारों के संबंधों को स्थापित करते हैं जिनके द्वारा संव्यवहार किया गया था जहां तक उस प्रयोजन के लिए आवश्यक है, सुसंगत है । (धारा 9)
Ex.
क्या कोई विशिष्ट दस्तावेज A की विल है ?
विल की तारीख पर A की कुटुंब की अवस्था ,
विल की तारीख पर A की संपत्ति की अवस्था,
परिचयात्मक होने के कारण सुसंगत है ।
Ex. -
A अपराध का अभियुक्त है ?
अपराध के पश्चात वे फरार हुआ क्योंकि अचानक और महत्वपूर्ण कार्य हो गया था स्पष्टीकरण होने के कारण सुसंगत है |
Ex.
B ने A को चुराई हुई सम्पति अपनी पत्नी C को देते हुए देखा और उसे छुपाने के लिए कहते हुए सुना |
यहाँ B का कथन संव्यवहार का भाग वाले तथ्य को स्पष्ट करने वाला कथन होने के कारण सुसंगत है ।
पहचान ( शिनाख्तगी ) :-
घटना का समय और स्थान :-
वे तथ्य जो समय ,स्थान स्थिर करते हैं सुसंगत है लेकिन शर्त यह है कि समय स्थान उससे संबंधित हो जहां विवाधक या सुसंगत तथ्य घटित हुआ है ।व्यक्तियों के संबंध दर्शाने वाले तथ्य :-
तथ्य जो पक्षकारों के संबंध दर्शित करते हैं जिनके द्वारा ऐसे तथ्यों का संव्यवहार किया जाता है सुसंगत है ।
धारा 10 :- सामान्य परिकल्पना के बारे में षड्यंत्रकारी द्वारा की गई या कही गई बातें :-
Qus :- सामान्य परिकल्पना के बारे में षड्यंत्रकारी द्वारा की गई या कही गई बातें कब सुसंगत होती है ?
Ans :-षड्यंत्र कार्यों में से किसी के द्वारा सामान्य आशय के संबंध में किए गए कार्य कानूनन उन सब के माने जाते हैं अतः षड्यंत्रकरी द्वारा की गई या कही गई बातें ही निम्न स्थितियों में सुसंगत हो जाती हैं -
- अभियुक्त के षड्यंत्र में शामिल होने का प्रथम दृष्टया साक्ष्य
- षड्यंत्र कार्यों द्वारा कोई कार्य या कथन किया गया हो
- किया गया कार्य और कहा गया कथन या लिखा गया पत्र षड्यंत्र कारी द्वारा सामान्य आशय के बारे में होना चाहिए
धारा 11 :- वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है कब सुसंगत हैं -
Qus :- वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं कब सुसंगत होते हैं ?
Ans :- वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है, सुसंगत है -
जब वे विवाधक या सुसंगत तथ्य से असंगत है ।
वे स्वयंमेव या अन्य तथ्यों के संसर्ग में विवाधक या सुसंगत तथ्य के अस्तित्व या अनस्तित्व को अत्यंत अधिसंभाव्य अनधिसंभाव्य बनाते हैं ।
Note :- यदि वे विवाधक या सुसंगत तथ्य से असंगत है या उसके अस्तित्व या अन अस्तित्व को अधिसंभाव्य या अनधिसंभाव्य बनाते हो सुसंगत है ।
धारा 11 (1) :-
वे तथ्य जो विवाधक या सुसंगत तथ्य से असंगत है सुसंगत होंगे |
एक तथ्य दूसरे तथ्य से असंगत तब होता है जब दोनों साथ नहीं रह सकते अर्थात एक ही के साबित होने पर दूसरा ना साबित हो जाएगा | यह पांच प्रकार के हैं -
- अनंयत्र उपस्थिति ( Alibi )
- बच्चे की अवैध औरसता दर्शाने के लिए पति का पत्नी के पास जाने का अभाव
- कोई व्यक्ति जिसके बारे में कहा जाए कि वह मर चुका है के जीवित होने का साक्ष्य देना
- अन्य व्यक्ति का अपराध का किया जाना |
- स्वयं द्वारा अपने को क्षति पहुंचाना ।
धारा 11 (2) :-
वे तथ्य जो स्वयं या अन्य तथ्य के संसर्ग में विवाधक तथ्य के अस्तित्व या अनअस्तित्व को अधिसम्भाव्य या अनधिसम्भाव्य दर्शाते हो सुसंगत है |
यह, ऐसे मामलों में जहां प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना असंभव होता है और न्यायालय को संभावनाओं के आधार पर कार्य करना होता है लागू होते हैं |
जैसे :- एक कमरे में A,B,C,D साथ में रहते हैं और उस कमरे में A हत्या हो जाती है तो अधिसंभाव्य होगा कि B , C या D इनमें से किसी एक ने हत्या की है ।
Quite helpful!!
ReplyDeleteHelpfull
ReplyDelete