कपटपूर्ण अंतरण
जैसे :-
A पूर्णतया ऋणी है उसके विरुद्ध ऋण वसूली के अनेक वाद हैं अपना मकान बी को इस आशय से बेच देता है कि उसे कुर्की से बचाया जा सके तो ऐसा अंतरण लेनदारों के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा ।Note :-
1. इस उपधारा की कोई बात सद्भाव पूर्ण प्रतिफल व पश्चातवर्ती अंतरिती के अधिकारों पर प्रभाव नहीं डालेगी2. इस उपधारा की कोई बात दिवाला संबंधी विधि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
Problem :-
अ ने एक मकान अपने लड़के ब के नाम खरीदा । 'अ' आयकर नहीं चुका पाया और उसके खिलाफ कर निर्धारण की कार्यवाही चल रही थी । अ ने एक कंपनी का गठन किया जिसमें ब' को प्रमुख अंश धारी बना दिया ब ने वादग्रस्त मकान इस कंपनी को बेच दिया क्या धारा 53 का सरंक्षण मिलेगा ?
Solution :-
बेनामी संव्यवहारो पर कभी भी कपट पूर्ण अंतरण का सिद्धांत लागू नहीं होता है ।
Principle of fraudulent transfer is not apply to benami transactions
Union of India versus moksh builder AIR 1997 SCकपटपूर्ण अंतरण के तत्व :-
1. वैद्य अंतरण :-
यह धारा तब भी लागू होती है जब अंतरण वैध हो अगर अंतरण प्रारंभ से शून होता है तो यह धारा लागू नहीं होती यह धारा कृत्रिम अंतरण जैसे बेनामी संविधान पर लागू नहीं होती है कोई अंतरण कृत्रिम है या नहीं यह तथ्य और परिस्थितियों पर निर्भर करता है ।2. कपट पूर्ण अंतरण का सिद्धांत अचल संपत्ति पर लागू होता है |
3. कपट पूर्ण अंतरण के सिद्धांत का लाभ तभी मिलेगा जब अंतरण का उद्देश्य कपट पूर्ण रहा हो ।
4. अंतरणकर्ता का उद्देश्य लेनदारों के हित को विफल करना हो । तभी इस सिद्धांत का लाभ मिलेगा ।
अपवाद :-
1. सद्भाव व सप्रतिफल अंतरण :-
धारा 53 ऐसे अंतरिती के अधिकारों पर प्रभाव नहीं डालती जिसने सद्भाव पूर्वक संपत्ति ली है किंतु अंतरिती को निम्न बातें सिद्ध करनी होगी ।(1) अंतरिती अंतरणकर्ता की कपट पूर्ण योजना का पक्षकार नहीं था अर्थात उसे ना तो कपट पूर्ण आशय का ज्ञान था ना ही उसने ऐसे उद्देश्य को प्राप्त करने में कोई सहायता की थी ।
( 2) अंतरित ने संपत्ति सद्भाव से सामान्य व्यापारी क्रियाकलाप में प्रतिफल के बदले किराए की हो ।
2. दिवालिया विधि :-
दिवालिया विधि पर इस धारा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।3. ऋण का भुगतान :-
अगर ऋणी की सारी संपत्ति एक ही ऋण दाता की अदायगी में खत्म हो जाती है तो धारा 53 उसे अन्य दावे की पुष्टि हेतु बाध्य नहीं करेगी ।4 लेनदारों के चयन में कपट :-
यदि वह सारी सम्पति किसी एक ऋणदाता को अंतरित कर देता है और अन्य लेनदारों के लिए उसके पास कुछ भी न बचे तो ऐसे लेनदार धारा 53 का सहारा नहीं ले सकते |MUSA HUR SAHU V/S HAKIM LAL
इस वाद में प्रतिवादी ने अपनी सारी सम्पति एक ही व्यक्ति को दे दी जिसे कपट नहीं माना गया |
5 पत्नी के मेहर ऋण के एवज में सम्पति अंतरण :-
यदि मुस्लिम पति अपनी पत्नी के मेहर ऋण के भुगतान करने में अपनी सारी सम्पति का उपयोग कर लेता हैं तो लेनदार धारा 53 का लाभ नहीं ले सकते हैं |Note :-
53(2 )के अंतर्गत पश्चातवर्ती अंतरिती की को इस धारा का सरंक्षण तभी मिलेगा जब पहला अंतरण बिना प्रतिफल के किया गया हो ।
जैसे:- दान
धारा 53(2) के अनुसार हर ऐसा अंतरण जो पश्चातवर्ती अंतरिती को धोखा देने के आशय से प्रतिफल बिना किया गया हैं ऐसे अंतरिती के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा |
अ' ने अपनी सारी संपत्ति 15 जुलाई 2008 को 'ब' को दान में दी उसी संपत्ति को 16 जुलाई 2008 को 'स' को बेच दिया 'स' का अंतरण बाद का है 'स' को क्या उपचार उपलब्ध है अथवा संपत्ति 'ब' को प्राप्त होगी या 'स' को ?
यहां 'स' के विकल्प शून्यकरणीय है धारा 53 (2 ) संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882
Problem :-
अ' ने अपनी सारी संपत्ति 15 जुलाई 2008 को 'ब' को दान में दी उसी संपत्ति को 16 जुलाई 2008 को 'स' को बेच दिया 'स' का अंतरण बाद का है 'स' को क्या उपचार उपलब्ध है अथवा संपत्ति 'ब' को प्राप्त होगी या 'स' को ?
Solution :-
यहां 'स' के विकल्प शून्यकरणीय है धारा 53 (2 ) संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882