हेलो फ्रेंड्स चमड़िया लाॅ क्लासेस में एक बार फिर आप सबका स्वागत है आज की पोस्ट में हम संविधान से संबंधित केस लॉ के बारे में पढ़ेंगे।
एम. करुणानिधि बनाम भारत संघ (1979)
इस वाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 254 के अनुसार समवर्ती विषय की राज्य विधि का उतना भाग, जो केंद्रीय विधि के विरोध में है, अवैध होगा और इसमें विरोध का परीक्षण सारांशीकृत किया गया।
एस आर बोंम्मई बनाम भारत संघ
लोकतंत्र और संघवाद हमारे संविधान की आवश्यक विशेषताएं हैं, और इसकी संरचना की मूल विशेषता है। यह अवलोकन न्यायमूर्ति ए एम अहमदी द्वारा इस वाद में किया गया। अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल की उद्घघोषणा की वैधता पर विचार करते हुए कहा कि उद्घघोषणा निम्नलिखित मामलों में से एक में न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ
फोन टैपिंग के नाम से प्रसिद्ध वाद
परमानंद कटारा बनाम भारत संघ
स्वास्थ्य और चिकित्सा सहायता का अधिकार एक मूल अधिकार है से संबंधित वाद
पी. रतिनाथ बनाम भारत संघ
अनुच्छेद '21' के अंतर्गत 'जीवनाधिकार' में 'मृत्यु का अधिकार' समाहित नहीं है।
डी.पी. जोशी बनाम एम.बी. राज्य
'गंगा वाटर' के नाम से प्रसिद्ध वाद
डी.बी.पटनायक बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
बिना युक्ति युक्त आधार के हत्या के मामले में जमानत नहीं दिया जाना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
वकील प्रसाद सिंह बनाम बिहार राज्य
इस वाद को हथकड़ी वाद के नाम से जाना जाता हैं।
बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य
उच्चतम
न्यायालय ने इस वाद में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि मृत्युदंड बिरले से बिरले मामले में ही दिया जाएगा |
मिट्ठू बनाम पंजाब राज्य [AIR 1983 SC
656-S-303 IPC]
इस
वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वर्गीकरण का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है अतः यह अविधिमान्य है
स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल अनवर अली AIR 1952 SC 75 CJ
पंतजलि
शास्त्री ने कहा की विधि का समान संरक्षण विधि के समक्ष समता का ही उप सिद्धांत है
इ. पी. रॉयप्पा बनाम तमिलनाडु राज्य AIR 1974 SC 597-J
मुख्य
न्यायधीश श्री पीएन भगवती के अनुसार क्षमता एक गतिशील धारना है और इसे परंपरागत सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है वस्तुतः समता और मनमानापन एक-दूसरे के शत्रु है | इसे
मेनका गांधी के केस में दोहराया गया है |
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ AIR 1993 SC 477
[ मंडल आयोग का मामला ] बालाजी CASE के
निर्णय को आंशिक रूप से उलटते हुए कहा कि पिछड़े वर्गों में से संपन्न क्रीमी लेयर लोगों को निकाल कर आरक्षण लागू किया जाए ART. 16(4) के अधीन आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों के मामले में ही किया जा सकता प्रोन्नति(PROMOTION) में
नहीं
भारत संघ बनाम नवीन जिंदल AIR 2004 SC 1559
अपने मकान
पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रत्येक नागरिक का ART.19(1)(9)
के अधीन मूल अधिकार है किंतु यह अधिकार आंतयतिक ABSOLUTE नहीं
है क्योंकि इसके माध्यम से वह राष्ट्र के प्रति अपनी भावनाओं और वफादारी के भाव का प्रकटीकरण करता है
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ AIR 2004 SC 2112
मतदाता को सूचना संविधान के Art. 19 में
प्रदत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का आवश्यक अंग है और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 में
किया गया संशोधन इसे कम करता है अतः वह असंवैधानिक है ।
नंदिनी सतपथी बनाम पीएल धानी AIR
1978 SC 1025
उड़ीसा की पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध Sec.179 IPC
के अधीन अभियोजन चलाया गया । यह भी निर्धारित किया गया कि Art. 20(3) का
सरंक्षण केवल न्यायालय में ही नहीं बल्कि वहां भी प्राप्त है जहां Sec.161(2)
CRPC के अधीन पुलिस अभियुक्त से पूछताछ करती है ।
दिल्ली न्यायिक सेवा संघ तीस हजारी न्यायालय बनाम गुजरात राज्य AIR 1991 SC 21
के वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही आपराधिक कार्यवाही नहीं होती है अतः Art. 20(3) का
संरक्षण प्राप्त नहीं होगा ।