INDIAN EVIDENCE ACT, 1872
तथ्य :-
तथ्य :-
- वस्तु ,वस्तु की अवस्था, वस्तु का संबंध जो इंद्रियों द्वारा बोधगम्य हो,
- कोई मानसिक दशा जिसका भान किसी व्यक्ति को हो तथ्य है |
तथ्य को वास्तविक घटना भी कहा जाता है, साक्ष्य को मामले के तथ्य तक सीमित रखना पड़ता है अतः तथ्य का साक्ष्य विधि में महत्वपूर्ण स्थान है |
धारा 3 में तथ्य दो प्रकार के बताए गए हैं |- भौतिक
- मानसिक
- वे तथ्य जो इंद्रियों द्वारा बोधगम्य हो भौतिक तथ्य हैं जैसे देखना, सपोर्ट करना, स्वाद महसूस करना किसी व्यक्ति के शरीर से खून बह रहा था ,जमीन पर उंगली से किसी व्यक्ति का नाम लिखना, उसका शरीर काला था, वह साइकिल पर सवार था - यह सभी भौतिक तथ्य है
- मानसिक तथ्य , मनोवैज्ञानिक तथ्य भी कहलाते हैं जो सिर्फ व्यक्ति के मन में होते हैं इनका सिर्फ एहसास होता है इन्द्रियों द्वारा बोधगम्य नहीं होते इन्हें स्वीकृति ,संस्वीकृति परिस्थिति जन्य साक्ष्य से साबित किया जाता है | इनमें ज्ञान, सद्भावना, राय शामिल है |
विवाधक तथ्य :-
ऐसे तथ्य हैं जिन पर अधिकार ,दायित्व, निर्योग्यता का जिसकी वाद या कार्यवाही में प्रस्थापना या इनकारी की गई है अस्तित्व, अनस्तित्व, प्रकृति, विस्तार निर्भर है विवाधक तथ्य है |
अथवा
ऐसे तथ्य जिन पर पक्षकारों के मध्य विवाद हो , विवाधक तथ्य है |
मामले में भी विवाधक तथ्य का निर्धारण मौलिक विधि द्वारा किया जाता है कुछ मामलों में पर पक्रियात्मक विधि भी इनका निर्धारण करती है CIVIL में CPC के ORDER 14 के अंतर्गत विवाधक निश्चित होते हैं जबकि CRIMINAL में CRPC के अंतर्गत आरोप ही विवाधक तथ्य होता है |
कोई भी तथ्य विवाधक तब होता हैं जब वो दो शर्तों की पूर्ति करें -
- पक्षकारों के मध्य तथ्यों को लेकर विवाद हो |
- उन तथ्यों का महत्व इतना हो कि उसे पक्षकारों के अधिकार और कर्तव्य निर्धारित होंगे |
जैसे :-A पर B की हत्या का आरोप है इसमें विवाधक होंगे -
क्या A ने B की हत्या की ?
क्या A ,B की हत्या का आशय रखता था ?
तथा क्या B ने A को अचानक और गंभीर प्रकोपन दिया था ?
जो भी तथ्य विवाधक होते हैं उन्हें साबित करना पड़ता है ताकि न्यायालय उनके अस्तित्व पर यकीन कर सके तभी न्यायालय उनके आधार पर निर्णय देता है |
सुसंगत :- कोई तथ्य दूसरे तथ्य के आधार पर सुसंगत कहा जाता है जब वह उस तथ्य से सुसंगत हो वह भी धारा 5 में बताए गए तरीके से -
सुसंगत तथ्य के दो अर्थ हैं |
- संबंधित
- ग्राह्य
उपधारणा करेगा (Sec.4) :-
उप धारणा करेगा का अर्थ है न्यायालय किसी तथ्य को साबित हुआ मानेगा जब तक कि वह ना साबित नहीं कर दिया जाए यहां न्यायालय की इच्छा पर कुछ भी नहीं छोड़ा जाता वरन न्यायालय को साबित मानना पड़ेगा जब तक कि ना साबित ना कर दिया जाए |
उप धारणा से अभिप्राय है :- एक तथ्य के अस्तित्व को देखकर अन्य का अनुमान लगाना |
जैसे :- रात के बाद दिन होना, अगर कहीं धुआं निकल रहा है तो अनुमान लगाया जाएगा कि वहां आग लगी होगी |
अगर कोई व्यक्ति न्यायालय के सम्मुख भारत सरकार का चार्टर पेश करता है तो न्यायालय उपधारणा करेगा कि उस में प्रकाशित अधिसूचना सही है |
उपधारणा कर सकेगा :-
न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा वहां न्यायालय तथ्य को या तो साबित हुआ मान सकेगा जब तक उस तथ्य को साबित नहीं किया जाता या सबूत की मांग कर सकेगा |
सामान्यतः किसी तथ्य को साक्ष्य द्वारा साबित किया जाता है लेकिन कुछ तथ्य ऐसे भी होते हैं जो बिना साक्ष्य के उपधारणा के तौर पर साबित मान लिए जाते हैं |
जैसे A के पास चोरी का सामान प्राप्त हुआ जो कुछ समय पहले चोरी हुआ तो यहां अनुमान लगाया जा सकता है कि या तो चोरी की है या चोरी का सामान खरीदा है |
निश्चयात्मक सबूत :-
एक तथ्य के साबित हो जाने पर अन्य तथ्यों को साबित मान लेना और उसे ना साबित होने की अनुमति ना देना निश्चयात्मक सबूत कहलाता है |