RELEVANCY OF FACTS [ INDIAN EVIDENCE ACT 1872 (NOTES) तथ्यों की सुसंगति

Adv. Madhu Bala
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Sec 5 :- विवाधक  और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा अन्यो का नहीं |


 किसी वाद या  कार्यवाही में हर विवाधक  तथ्य और ऐसे तथ्य जिन्हे  इसके पश्चात की धाराओं में सुसंगत घोषित किया गया है के अस्तित्व या अनअस्तित्व का साक्ष्य दिया जा सकेगा अन्य का नहीं ।
धारा 5 बताती है कि इन तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा ।

1) जो स्वयं विवाद में हो |
2) ऐसे तथ्य जिन्हें बाद के उपबन्धों  में सुसंगत बताया गया है, का साक्ष्य दिया जा सकेगा ।
 Case :-  A ने B की डंडा मारकर हत्या की ?
               इस में विवाधक निम्न है ।

  1.  क्या ए ने B को डंडा मारा ?
  2.  क्या डंडा मारने से ही B की मृत्यु हुई ?
  3.  क्या A का B को मारने का आशय था ?
  4.  क्या B ने A को अचानक और गंभीर प्रकोपन  दिया ?

        इसी मामले में निम्न सुसंगत तथ्य होंगे |
  • A को डंडा लेकर B के खेत की तरफ  जाते हुए देखा गया | 
  •  A का B के खेत पर पहुंच कर B को कहना कि वह उससे बदला लेगा | 
  • पुलिस का गांव में पहुंचना और A का फरार हो जाना ।

सुसंगति  के प्रावधानों के अनुसार सुसंगत है। साक्ष्य में भी ग्राह्य है |

SEC 6 :-  रेस जेस्टे :-

 एक ही संव्यवहार  के बाद होने वाले तथ्यों  की सुसंगति  |

वे तथ्य जो भी विवाधक तो नहीं है किसी तरह विवाधक से इस प्रकार जुड़े हैं कि वह एक ही संव्यवहार का भाग बन जाए तो सुसंगत है चाहे वह उसी स्थान पर उसी समय या भिन्न-भिन्न समय या विभिन्न स्थानों पर घटित  हुए हो |

 जैसे :- A  ने B  की पीटकर हत्या की पिटाई के समय या उसके पूर्व या उसके पश्चात जो कुछ भी कहा गया वह संव्यवहार का भाग बन जाता है और सुसंगत होता है।

Qus :-  संव्यवहार से आप क्या समझते हो ?
ऐसे तथ्य जो एक दूसरे से संबंध रखते हो जो अपराध के ठीक पूर्व या अपराध के समय अपराध के पश्चात किए गए हो लेकिन अपराध से संबंधित हो  संव्यवहार है |

Ex.   A पर  आरोप है कि उसने B  को विष  देकर मारा हम साक्ष्य  देते हैं कि A  को थोड़ा-थोड़ा विष B  कई महीनों से दे रहा था तो साक्ष्य सुसंगत होगा |

कथन (Statement) :-

कुछ कथन भी भौतिक  घटनाओं के साथ-साथ होते हैं यह कथन भी एक ही संव्यवहार के भाग माने जाते हैं यदि कथन घटना के इतना पहले या बाद में किया गया हो कि कोई कहानी गढ़ने का समय ना मिले |
न्यायालय को रेसजेस्टे को काम में लेते समय बड़ी सावधानी से कार्य करना चाहिए क्योंकि ऐसा इसलिए करते हैं कि घटना के निकटतम तत्कालिक कथन होना चाहिए ताकि सोचने का समय ना मिले |

आर. एम. मलकानी वर्सेस स्टेट ऑफ महाराष्ट्र 1973


मे  न्यायालय ने कहा जब कोई बातचीत चल रही हो और वह एक ही संव्यवहार का भाग हो और उसे रिकॉर्ड कर लिया जाए तो उसे सुसंगत माना जाता है |
प्रोफेसर बिगमोर ने कहा है कि रेस जेस्टे  सिद्धांत की सीमाएं नहीं है मामले के तथ्यों में भिन्नता होती है और हर तरह के अंदर यह बताना मुश्किल हो जाता है कि कौन से तथा उसके संव्यवहार के भाग है अतः हानिकारक भी है |

Sec 7 :-प्रसंग हेतु को और परिणाम या अवसर कारण और प्रभाव :-

वे तथ्य सुसंगत होते हैं जो सुसंगत या विवाधक  तथ्यों  के अवसर कारण या परिणाम है ।

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