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Friday, December 31, 2021

Cause Of Action IN CPC (वाद हेतुक)




 वाद हेतुक से अभिप्राय :- 

वाद हेतुक से तात्पर्य उस कारण या परिस्थितियों के उस समूह से हैं जिनके आधार पर वाद संस्थित किया जाता है ।

साधारण शब्दों में यह कहा जा सकता है कि वाद हेतुक cause of action कोई कार्य, लोप या भूल जो पीड़ित पक्षकार को दावा करने का अधिकार प्रदान करें ।

या, ऐसे तथ्यों का समूह जिन्हें  वाद की सफलता के लिए वादी को सिद्ध करना होता है ।

क्रक बनाम गिल (1873) सी.पी. 107

उच्चतम न्यायालय के अनुसार वाद हेतुक से तात्पर्य उस कारण या परिस्थितियों के उस समूह से हैं जिनके आधार पर वाद संस्थित किया जाता है । अन्य शब्दों में वाद हेतुक Cause of Action in CPC का अर्थ प्रत्येक उस तथ्य से है, जिसकी छानबीन की जाए तो न्यायालय से निर्णय प्राप्त करने के लिए वादी को अपने अधिकार के समर्थन में सिद्ध करना आवश्यक है ।


रघुनाथ बनाम गोविंद नारायण (1895 22 cul. 5)

इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वाद हेतुक का तात्पर्य तथ्यों के उस समूह से है, जिसे वादी को अपने पक्ष में डिग्री प्राप्त करने के लिए साबित करना आवश्यक है। लेकिन इसमें साक्ष्य का कोई भाग शामिल नहीं है।

Note :- किसी भी वाद में वाद हेतुक क्या ,है यह जानना हो तो निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होगा ।

1) वादी प्रतिवादी के मध्य किस बात को लेकर विवाद है।

2) अनुतोष प्राप्त करने के लिए वाद में किन बातों को साबित करना आवश्यक है।

Example :- 

  • Cause of Action For Breach of Contract

संविदा भंग के लिए अनुतोष हेतु वाद :- 

संविदा भंग के मामलों में वाद कारण संविदा करने एवं उसे भंग करने से उत्पन्न होता है। ऐसे वाद में वाद हेतुक क्या है, तो यह जानना आवश्यक होगा कि ऐसे वाद में किन बातों को साबित करना डिक्री के लिए आवश्यक है, इस प्रकार के वाद में दो बातों का साबित करना आवश्यक है प्रथम की वादी और प्रतिवादी के बीच एक वैध संविदा हुई थी और दूसरा की ऐसी संविदा को प्रतिवादी ने भंग किया था । 

  • Cause of Action For Breach of Contract
  • अतः इस वाद में संविदा निर्मित होने और संविदा भंग होने से संबंधित तथ्य वाद हेतुक होंगे।

वाद हेतुक जिस स्थान पर उत्पन्न होता है उस स्थान का किसी वाद के संस्थित किए जाने के लिए बड़ा ही महत्व है क्योंकि वाद वहा भी संस्थित किया जा सकता है जहां वाद हेतुक पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से उत्पन्न होता है । अतः ऐसे मामलों में वाद निम्नलिखित स्थानों में से किसी भी स्थान पर संस्थित किया जा सकता है 

(1) जहां संविदा की गई है।

(2) जहां उसका पालन किया जाना चाहिए था और जहां उसे भंग किया गया है ।

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