Public Nuisance ( लोक उपताप ) Sec 91[ Civil Procedure Code, 1908 ]

Adv. Madhu Bala
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Introduction



सिविल प्रक्रिया संहिता में  लोक उपताप को परिभाषित नहीं किया गया है इसकी परिभाषा भारतीय दंड संहिता की धारा 268 में दी गई है दंड प्रक्रिया संहिता में धारा 133 से 143 तक लोक उपताप हटाने संबंधी प्रावधान हैं |


भारतीय दंड संहिता की धारा 268 :- 


ऐसा कार्य या अवैध लोप जिससे लोक या जनसाधारण को जो आस-पास रहते हैं या संपत्ति का अधिभोग रखते है कोई सामान्य क्षति, संकट, क्षोभ कारित हो या जो लोक अधिकार को उपयोग में लाए | क्षति, क्षोभ, संकट कारित होना अवश्यंभावी हो लोक उपताप है |


प्रश्न :-  लोक उपताप संबंधी वाद पेश करने से पूर्व किन औपचारिकताओं को पूरा करना आवश्यक है ?


Sec 91 सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत तभी वाद लाया जा सकेगा जब उसका प्रभाव लोक पर पड़ना संभव हो | वाद राज्य के महाधिवक्ता या दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा न्यायालय की अनुमति से लाया जा सकता है चाहे उन्हें लोक उपताप से कोई नुकसान ना पहुंचता हो |


उपचार :-

  1. व्यादेश

  2.  अन्य अनुतोष, जो न्यायालय देना उचित समझें |


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