संपति अंतरण अधिनियम की परिभाषा [ Sec 5] (संपति अंतरण अधिनियम, 1882)

Adv. Madhu Bala
0


 संपति अंतरण को परिभाषित कीजिए |  इसके आवश्यक तत्व बताइए ?

संपत्ति अंतरण की परिभाषा [ धारा 5 ]


"संपत्ति अंतरण" से ऐसा कार्य अभिप्रेत है जिसके द्वारा कोई जीवित व्यक्ति एक या अधिक अन्य जीवित

व्यक्तियों को या स्वंय को अथवा स्वंय और एक या अधिक अन्य जीवित व्यक्तियों को वर्तमान या

भविष्य के लिए संपत्ति हस्तांतरित करता है |

 इसी कार्य को संपत्ति अंतरण कहते हैं | 


इस धारा में जीवित व्यक्ति के अंतर्गत कंपनी या संगम या व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या

नहीं आता है | किंतु कोई भी बात कंपनियों संगमो या व्यक्तियों के निकायों के द्वारा किए जाने वाले

संपत्ति अंतरण से संबंधित किसी भी तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि पर प्रभाव नही डालेगी |


परिभाषा के तत्व :-


  1. संपत्ति अंतरण का अर्थ एक कार्य से है |

  2.  उक्त कार्य किसी जीवित व्यक्ति द्वारा -


        (a) एक  या अधिक जीवित व्यक्तियों को,

        (b) स्वयं को,      

        (c)  स्वयं तथा किसी जीवित व्यक्ति को दिया जाना चाहिए |

  1. इस कार्य के परिणाम स्वरूप किसी विद्यमान संपत्ति का अंतरण किया जाना आवश्यक है |

  2.  ऐसा अंतरण वर्तमान या भविष्य में प्रभावी हो सकता है |


धारा 6 :- कौन-कौन सी संपत्ति का अंतरण किया जा सकता है |


     किसी भी  किस्म की संपत्ति इस अधिनियम या किसी अन्य तत्समय प्रवृत विधि द्वारा

उपबंधित के सिवाय अंतरित की जा सकेगी |


Note :- किसी भी किस्म की संपत्ति से स्पस्ट है की अंतर्नियत संपत्ति का सामान्य नियम है यदि

कोई वस्तु अंतरित नहीं की जा सकती तो वह "संपत्ति" शब्द की परिभाषा मैं नहीं आती है अतः

अंतर्नियता संपत्ति के साथ सलंग्न है |


अपवाद :-  अन्य विधियों में -


( A ) हिंदू विधि :-  हिंदू विधि में कुछ ऐसी संपत्तियों का विवरण है विवरण है जिनका अंतरण नहीं किया जा सकता  जैसे कोई धार्मिक पद, शैवायत, देवोत्तर संपत्ति, अविभाज्य संपत्ति आदि |


( B ) मुस्लिम विधि :-  मुस्लिम विधि में निम्न अंतरित नहीं किए जा सकते जैसै :-

वक्फ  संपत्ति, मुतवल्ली का पद, मेहर प्राप्त करने का अधिकार, भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार


( C ) इसके अतिरिक्त संसद ऐसा कोई कानून बना सकती है जिसके द्वारा संपत्ति अंतरण को रोका जा सके | जैसे :-  राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कृषि भूमि का सामान्य जाति को अंतरण नहीं किया जा सकता | 


Note :- कोई सरकारी अधिकारी जो संपत्ति की नीलामी कर रहा है स्वयं उस संपत्ति को नहीं खरीद सकता | 


संपत्ति अंतरण अधिनियम के अपवाद धारा 6 मे दिये गए हैं 


Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top