गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार-

Adv. Madhu Bala
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चमडिया लॉ क्लासेस में आप सबका स्वागत है आज की इस पोस्ट में हम गिरफ्तार व्यक्तियों के क्या क्या अधिकार होते हैं इस बारे में जानेंगे? और गिरफ्तारी किस प्रकार की जाएगी? गिरफ्तारी से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन, केस लॉ और सीआरपीसी में इस बारे में क्या प्रावधान दिए गए हैं इस बारे में इस ब्लॉग में लिखा गया है।


गिरफ्तार व्यक्ति के क्या अधिकार है?


गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार निम्नलिखित है-


  1. गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार है।

  2. अपनी अभिरुचि का वकील करने का अधिकार है।

  3. गिरफ्तारी के विरुद्ध अभ्यावेदन करने का अधिकार है।

  4. गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंतर्गत निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का अधिकार है।


            इसके अतिरिक्त

डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य ए आई आर 1997 एस सी 610

के मामले में   गिरफ्तार व्यक्ति के निम्न अधिकार उच्चतम न्यायालय ने बताए हैं।


  1. गिरफ्तार करने  वाला पुलिस अधिकारी अपना पद, नाम सही तरह से प्रकट व स्पष्ट करेगा। ऐसे अधिकारी का विवरण रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए।

  2. गिरफ्तार करने वाला पुलिसकर्मी गिरफ्तारी का मेमो बनाएगा जिस पर दो गवाहों के दस्तखत होंगे जो गिरफ्तार व्यक्ति के नातेदार या फिर मोहल्ले के प्रतिष्ठित व्यक्ति के होंगे ।

  3. गिरफ्तार व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि उसके किसी नातेदार या मित्र को गिरफ्तारी की सूचना दी जाए। रजिस्टर में उसके मित्र का नाम व सूचना देने का समय अंकित किया जाना आवश्यक है।

  4. पुलिस गिरफ्तारी का समय, स्थान तथा अभिरक्षा के स्थान की सूचना गिरफ्तार व्यक्ति के रिश्तेदार या मित्र को देगी। ऐसी सूचना 8 से 10 घंटे के भीतर अवश्य देनी होगी।

  5. गिरफ्तार व्यक्ति को इस बात की सूचना होनी चाहिए कि उसकी गिरफ्तारी की सूचना उसके मित्र या रिश्तेदार को कर दी गई है।

  6. गिरफ्तार व्यक्ति यदि प्रार्थना करता है कि उसकी डॉक्टरी जांच करवाई जाए तो गिरफ्तारी मेमो में उसके शरीर में पाई गई बड़ी या छोटी चोटों को दर्ज किया जाना चाहिए।

  7. डॉक्टरी जांच के प्रार्थना पत्र पर व्यक्ति की गिरफ्तारी के 48 घंटे के भीतर डॉक्टरी जांच कराया जाना आवश्यक होगा।

  8. पुलिस अधिकारी द्वारा तैयार किए गए सभी दस्तावेजों की प्रतिलिपियां क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को रिकॉर्ड के लिए भेजी जाएगी।

  9. गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ के दौरान उसे अपने अधिवक्ता से मिलने दिया जाएगा।


दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार बताए गए हैं जो निम्नलिखित है | :-


गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति को इस बात की इतिला देगा की वह अपने कुटुबं के किसी सदस्य को अथवा कोई नातेदार या मित्र को उसकी गिरफ्तारी की सूचना दे सकता है |

Sec:-[41-ख]


गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने का अधिकार है- जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और पुलिस द्वारा पूछताछ की जाती है, तब गिरफ्तार  व्यक्ति पूछताछ के दौरान के अधिवक्ता से मिलने का अधिकार रखता है कितुं संपूर्ण पूछताछ के दौरान नहीं| 

Sec:-[41-घ]


गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और  जमानत के अधिकार की सूचना दी जाना

  1. किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है पूर्ण विशिष्ट याहिया ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरंत संसूचित करेगा।

  2. जहां कोई पुलिस अधिकारी और जमानती अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से भी किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करता है वहां वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इत्तिला देगा कि वह जमानत पर छोड़े जाने का हकदार है और वह अपनी ओर से प्रतिभुओं का इंतजाम करें।

Sec:-(50)


गिरफ्तारी सर्वथा संहिता के अनुसार की जाएगी।

इस संहिता के प्रावधानों के या तत्समय प्रवृत्त अन्य कोई विधि के गिरफ्तारी के लिए उपबंध के सिवाय गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।

Sec:-(60क)


गिरफ्तारी के प्रावधानों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण निर्णय


जोगेंद्र कुमार बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश AIR 1994 SC


इस वाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी से संबंधित अधिकारों के बारे में बताया है। इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को यदि पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया है तो यदि वह व्यक्ति अनुरोध करें तो उसे अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार ऐसा कोई अन्य व्यक्ति जिसे वह जानता हो जो उसके कल्याण के लिए कार्य करें उसे इस बारे में बता सके कि उसे गिरफ्तार किया गया है और हिरासत में रखा जा रहा है

यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 एक में निहित है और इन्हें मान्यता देने और सावधानीपूर्वक संरक्षित करने की आवश्यकता है इन मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निम्नलिखित आवश्यकताएं जारी की गई है।

  1. हिरासत में रखा जा रहा व्यक्ति हकदार है अगर वह अनुरोध करता है कि उसके दोस्त रिश्तेदार या ने व्यक्ति जिसे मैं जानता हूं उसे गिरफ्तारी की सूचना दी जाए

  2. पुलिस अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति को थाने लाए जाने पर इस अधिकार की सूचना देगा।

  3. पुलिस अधिकारी को डायरी में या प्रविष्टि करना होगी की गिरफ्तारी की सूचना किसे दी गई थी सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इस व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

  4. मजिस्ट्रेट का कर्तव्य होगा, जिसके समक्ष गिरफ्तार व्यक्ति को पेश किया जाता है वह खुद को संतुष्ट करें कि इन सभी आवश्यकताओं का अनुपालन किया जा चुका है।

  5. इस संबंध में कानूनी प्रावधान किए जाने तक गिरफ्तारी के सभी मामलों में उपरोक्त क्षमताओं का पालन किया जाएगा यह आवश्यकता है विभिन्न पुलिस नियमावली में पाए गए गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों से अतिरिक्त होगी।

  6. यह सभी आवश्यकताएं संपूर्ण नहीं है भारत में सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशक इन आवश्यकताओं के उचित अनुपालन की आवश्यकता वाले आवश्यक दिशा निर्देश जारी करें साथ ही यह विभागीय निर्देश भी जारी किया जाए कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी को अपनी केस डायरी में गिरफ्तारी के कारणों को भी दर्ज करना होगा।


प्रेमशंकर शुक्ला बनाम दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन AIR(1980) 3 SCC 526


इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह बताया है कि गिरफ्तार व्यक्ति यदि निकल भागने की कोशिश ना करें तो हथकड़ी अनावश्यक रूप से नहीं लगाई जाएगी। इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि पुलिस अभिव्यक्ति को हथकड़ी बनाती है तो यह अभियुक्त के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सामान्य मामलों में हथकड़ी नहीं लगानी चाहिए बल्कि कुछ अपराधिक मामलों में ही इसका प्रयोग करना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 21 व अनुच्छेद 19 का उल्लंघन होता है यदि अभियुक्त को जिसके निकल भागने की संभावना ने हो और वह स्वयं को गिरफ्तारी के लिए प्रस्तुत कर दे।


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