नागालैंड और जनजाति क्षेत्रों के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर इस संहिता के प्रावधान लागु होते हैं |
DEFINITIONS :-SEC :2
Sec:- 2(2) डिक्री(Decree) -
न्याय निर्णयन की औपचारिक अभिव्यक्ति जो वाद में विवादग्रस्त विषयो के
संबधं में पक्षकारो के अधिकारों का निष्चयात्मक अवधारण करे |
संबधं में पक्षकारो के अधिकारों का निष्चयात्मक अवधारण करे |
Qus. डिक्री में क्या शामिल हैं ?
Ans वाद-पत्र का खारिज किया जाना,धारा 144 के अन्तर्गत प्रश्न का अवधारण |
Qus. डिक्री में क्या शामिल नहीं हैं ?
Ans चूक के कारण खारिज का आदेश और ऐसा निर्णय जिसकी अपील आदेश की तरह हो |{Sec 2(2)परन्तुक}
Qus प्रारम्भिक डिक्री क्या हैं ?
Ans वाद को पूर्ण रूप से निपटाने से पहले आगे ओर कार्यवाही की जानी शेष हो |
Qus अन्तिम डिक्री क्या हैं ?
Ans जब वाद का पूर्ण रूप से निपटारा हो जाए और कोई कार्यवाही शेष न रहे |
वाद या दावा
ऐसीे कार्यवाही जो वादपत्र प्रस्तुत करने पर शुरू हो दावा कहलाती हैं |
{Hansaraj V/S Dhehradun Masuri Electric Trmway Company}
निश्च्यात्मक अवधारण
न्यायालय का निर्णय यदि अन्तिम होता हैं तो वह निश्च्यात्मक अवधारण हैं |
Sec 2(3):- डिक्रीदार :-
जिसके पक्ष में डिक्री पारित की गयी हैं या निष्पादन योग्य आदेश पारित किया गया हैं |