Sec 2(4) जिला (District) :-
आरभ्भिक अधिकारिता रखने वाला प्रधान सिविल न्यायालय व उच्च न्यायालय की मामूली स्थानीय सीमाएं से जिला अभिप्रेत हैं |
Sec 2(5) विदेशी न्यायालय (Foreign Court) :-
ऐसा न्यायालय जो भारत की सीमा से बाहर स्थित हैं | जो केन्द्रीय सरकार के प्राधिकार से न तो स्थापित हैं न ही चालू हैं |Sec2(6) विदेशी निर्णय (Foreign Judgement) :-
विदेशी निर्णय से अभिप्रेत विदेशी न्यायालय के निर्णय से हैं |Sec2(7) सरकारी प्लीडर (government pleader) :-
जो इस संहिता के द्वारा अभिव्यक्त रूप से दिए सभी या किन्ही कृत्यों के पालन हेतुु राज्य सरकारोंं द्वारा नियुक्त होअथवा
संहिता द्वारा निर्दिष्ट सभी या किन्ही कार्य को करने हेतु राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त व इसके के निर्देशों के अधीन कार्य करने वाला प्लीडर
Sec 2(8)न्यायधीश(Judge) :-
न्यायाधीश से अभिप्रेत सिविल न्यायालय का पीठासीन अधिकारी से हैSec 2(9) निर्णय(Judgement) :-
निर्णय से अभिप्रेत न्यायाधीश द्वारा डिक्री या आदेश के आधार का कथन से है |Sec 2(10) निर्णतऋणी(Judgement-debtor) :-
ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध डिक्री या निष्पादन योग्य आदेश पारित किया गया है निर्णतऋणी कहलाता है |Sec 2(11) विधिक प्रतिनिधि (legal-Representative):-
जो व्यक्ति मृत व्यक्ति की संपदा का विधिक रूप से प्रतिनिधित्व करें | उसमें हस्तक्षेप करें, वाद ला सके या उस पर वाद लाया जा सकता है | जिसमें संपदा मृत्यु पर न्यागत हो |Sec 2 (12 ) मध्यवर्ती लाभ(Mesne profit) :-
वे लाभ जो सम्पति पर सदोष कब्जा धारी को वास्तव में मिले हो या मामूली तत्परता से लाभ प्राप्त कर सकता था |Qus :- मध्यवर्ती लाभ की डिक्री किसके विरुद्ध पारित करते हैं ?
Ans :- जो व्यक्ति संपदा पर सदोष कब्ज़ा रखता है या उससे लाभ प्राप्त करता है या कर सकता है |
Qus :- मध्यवर्ती लाभ में क्या ब्याज की संगणना लागू होती है ?
Ans :-हां, क्योंकि ब्याज मध्यवर्ती लाभ का अनन्य भाग हैं किन्तु ब्याज 6 % वार्षिक से अधिक नहीं होगा |
Really appreciateable
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