It Indian penal code, 1860 abetment of a thing section 107, abettor -section 108 - CHAMARIA LAW CLASSES

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Wednesday, August 12, 2020

Indian penal code, 1860 abetment of a thing section 107, abettor -section 108

Indian penal code, 1860 abetment of a thing section 107, abettor -section 108







Abbetment

किसी बात का दुष्प्रेरण:-

वह व्यक्ति किसी बात की किए जाने का दुष्प्रेरण करता है जो-
(1) उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है।
(2)उस बात को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है यदि उस षड्यंत्र के अनुसरण में, और उस बात को करने के उद्देश्य से ,कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए अथवा
(3)उस बात के  किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साक्ष्य सहायता करता है।
स्पष्टीकरण:-

जो कोई व्यक्ति जानबूझकर व्यपदेशन द्वारा या तात्विक तथ्य जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है ,जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वच्छेया  किसी बात का किया जाना  कारित या उपाप्त करता है अथवा  कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है वह उस बात के लिए उकसाता है। यह कहा जाता है।

Example:-

A एक public officer है जिसके पास z को पकड़ने के लिए न्यायालय का वारंट है B इस बात को जानता है और x नाम के व्यक्ति को z बताकर उसे पकड़वा देता है। B जानबूझकर साशय व्यपदेशित करता है।कि 'X' Z है। यहां B 'x' के पकड़े जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करता है।
स्पष्टीकरण (2):

जो कोई किसी कार्य के किए जाने के पूर्व या के जाने के समय उस कार्य के किए जाने को सुकूर बनाने के लिए कोई बात करता है तब कहा जाता है कि उसने उस कार्य को करने में सहायता की है।



Sec:- (108) दुष्प्रेरक:-


वह व्यक्ति अपराध का दुष्प्रेरण करता है जो अपराध को किए जाने का दुष्प्रेरण करता है। या ऐसे कार्य किए जाने का दुष्प्रेरण करता है जो अपराध होता,यदि वह कार्य अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ व्यक्ति द्वारा उसी आशय या ज्ञान से जो दुष्प्रेरक का है किया जाता।

स्पष्टीकरण 1:-

किसी कार्य का अवैध लोप का दुष्प्रेरण अपराध की कोटी में आ सकेगा, चाहे दुष्प्रेरक उस कार्य को करने के लिए स्वयं आबद्ध ना हो।

स्पष्टीकरण 2:-

दुष्प्रेरण का अपराध घटित होने के लिए यह आवश्यक नहीं कि दुष्प्रेरित कार्य किया जाए या अपराध घटित करने के लिए अपेक्षित प्रभाव कारित हो।

Example-1

(क) ग की हत्या करने के लिए ख को उकसाता है । ख ऐसा करने से मना कर देता है। (क) हत्या करने के लिए ख के दुष्प्रेरण का दोषी है।

Example -2

'घ' की हत्या करने के लिए ख को 'क' उकसाता है। ख ऐसी उकसाहट  के अनुसरण में घ को विद्ध(चोट) करता है। घ का घाव अच्छा हो जाता है। क हत्या करने के लिए ख को उकसाने का दोषी है।

स्पष्टीकरण 3:-

यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरित व्यक्ति अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ हो, या उसका वही दूषित आशय या ज्ञान हो, जो दुष्प्रेरक का है, या कोई भी दूषित आशय या ज्ञान हो।

Example 1

क दूषित आश्य से एक शिशु या पागल को वह कार्य करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, जो अपराध होगा,यदि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए जो कोई अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ है और वही आशा रखता है जो कि क का है। यहां चाहे वह कार्य किया जाए या न किया जाए क अपराध के दुष्प्रेरण का दोषी है।

Example 2

य की हत्या करने के आशय से ख को, जो 7 वर्ष से कम आयु का शिशु है, वह कार्य करने के लिए क  उकसाता है जिससे य की मृत्यु हो जाती है। ख दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरुप वह कार्य क की अनुपस्थिति में करता है और उससे य की मृत्यु कारित करता है। यहां यद्यपि ख  वह अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ नहीं था, तथापि के उसी प्रकार से दंडनीय है, मानो ख वह अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ हो और उसने हत्या की हो, और इसलिए क मृत्युदंड से दंडनीय हैं।

स्पष्टीकरण 4

अपराध का दुष्प्रेरण अपराध होने के कारण ऐसे दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण भी अपराध है।

Example

ग को य की हत्या करने को उकसाने के लिए ख को क उकसाता है ।ख उसके अनुकूल य की हत्या करने के लिए ग को उकसाता है। और ख के उकसाने के परिणाम स्वरुप ग उस अपराध को करता है। ख अपने अपराध के लिए हत्या के दंड से दंडनीय है , और क ने उस अपराध को करने के लिए ख को उकसाया, इसलिए क भी उसी दंड से दंडनीय है।

स्पष्टीकरण 5

षड्यंत्र द्वारा दुष्प्रेरण करने का अपराध करने के लिए यह आवश्यक नहीं कि दुष्प्रेरक उस अपराध को करने वाले व्यक्ति के साथ मिलकर उस अपराध की योजना बनाए। यह पर्याप्त है कि उस षड्यंत्र में शामिल हो जिस के अनुसरण में वह अपराध किया जाता है।

Example:- 

Z को विष देने के लिए  A एक योजना B से मिलकर बनाता है यह सहमति हो जाती है कि A विष देगा । B तब यह वर्णित करते हुए C को वह योजना समझा देता है कि कोई तीसरा व्यक्ति विष देगा किंतु A का नाम नहीं लेता। C विष उपाप्त करने के लिए सहमत हो जाता है और उसे उपाप्त करके समझाएं गए प्रकार से प्रयोग में लाने के लिए B को परिदत्त करता है । परिणामस्वरूप Z की मृत्यु हो जाती है यहां यद्यपि A और C ने मिलकर षड्यंत्र नहीं रचा है तो भी C उस  षड्यंत्र में सम्मिलित रहा है, जिसके अनुसरण में Zकी हत्या की गई है इसलिए C ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है और हत्या के लिए दंड से दंडनीय है ।


4 comments:

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