CPC important questions with Answer for RJS in 30 words

Adv. Madhu Bala
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Qus :- 1 प्रारंभिक डिक्री क्या है ?

Qus :- 2 वाद या दावा किसे कहते हैं?

Qus :- 3 क्या राज्य विधान मंडल सिविल प्रक्रिया संहिता के बारे में कानून बना सकता है ?

Qus :- 4 क्या उच्च न्यायालय सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश में परिवर्तन कर सकता है ?

Qus :- 5 सिविल प्रक्रिया संहिता का उद्देश्य क्या है ?

Qus :- 6 क्या सिविल अधिकारों के प्रवर्तन हेतु सिविल वाद दायर कर सकते हैं ?

Qus :- 7 क्या डिक्रीधारी वादी होता है ?

Qus :- 8 निश्चयात्मक अवधारण से क्या अभिप्राय है ?

Qus :- 9 मध्यवर्ती लाभ की डिक्री किसके विरुद्ध पारित करते हैं ?

Qus :- 10 डिक्री कितने प्रकार की होती है ?

Qus :- 11 अभिव्यक्त रूप से वर्जित से क्या अभिप्राय है ?

Qus :- 12 अगर प्रतिवादी क्षेत्राधिकार पर आपत्ति करता है और न्यायालय उसे अस्वीकार कर देता है तो प्रतिवादी को क्या उपचार उपलब्ध है ?

Qus :- 13 सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार क्षेत्राधिकार कितने प्रकार का होता है ?

Qus :- 14 क्या प्रतिवादी मुकदमे के अंतरण के लिए कभी भी आवेदन कर सकता है ?

Qus :- 15 प्रतिवादी द्वारा मामला अंतरण के आवेदन पर न्यायालय क्या प्रक्रिया अपनाऐगा ?

Qus :- 16 क्या ऐसे न्यायालय से वाद या कार्यवाही अतंरित की जा सकती है जिसे उसका विचारण करने के अधिकारिता नहीं है ?

Qus :- 17 पूर्व न्याय (Res judicata ) से क्या अभिप्राय है ?

Qus :- 18 प्रत्यक्ष या सारत विवाधक से क्या अभिप्राय है ?

Qus :- 19 मान्यता प्राप्त अभिकर्ता से क्या अभिप्राय है ?

Qus :- 20 वाद किस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है ?

Answer these questions


Ans :- 1 वाद को पूर्ण रूप से निपटाने से पहले आगे और कार्यवाही की जानी शेष हो । 
                                        ( धारा 2(2) स्पष्टीकरण)

Ans :- 2 ऐसी कार्यवाही जो वाद पत्र प्रस्तुत करने पर शुरू हो दावा कहलाती है ।
( हंसराज बनाम देहरादून मंसूरी इलेक्ट्रिक ट्रॉम्बे कंपनी )

Ans :- 3 हां, लेकिन यह कानून केंद्रीय विधि से असंगत नहीं होने के साथ केवल राज्य सीमा क्षेत्र में ही लागू होंगे ।

Ans :- 4 सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश प्रारूप के रूप में है और प्रारूप अनुच्छेद 227 के अंतर्गत उच्च न्यायालय द्वारा विहित हो सकते हैं । अतः उच्च न्यायालय द्वारा संशोधनीय आदेश सिविल प्रक्रिया संहिता का भाग बनकर उसी राज्य मे लागू हो जाते हैं ।

Ans :- 5 सिविल प्रक्रिया संहिता का उद्देश्य सामान्य व्यक्तियों को दीवानी न्याय उपलब्ध करवाना है ।

Ans :- 6 सिविल अधिकारों के प्रवर्तन हेतु वादहेतुक उत्पन्न होने पर ही सिविल वाद दायर किया जा सकता है, अन्यथा नहीं ।

Ans :- 7 डिक्रीधारी वादी या प्रतिवादी में से कोई भी हो सकता है ।

Ans :- 8 न्यायालय का निर्णय यदि अंतिम होता है तो वह निश्चयात्मक अवधारण है ।

Ans :- 9 जो व्यक्ति संपदा पर सदोष कब्जा रखता है, या उससे लाभ प्राप्त करता है, या कर सकता है

Ans :- 10 डिक्री तीन प्रकार की होती है प्रारंभिक डिक्री, अंतिम डिक्री,  आंशिक प्रारंभिक या अंशत: अंतिम डिक्री

Ans :- 11 जब कोई वाद प्रचलित या लागू किसी अधिनियम द्वारा वर्जित किया गया हो ।
जैसे:- रेवेन्यू कोर्ट, चुनाव अधिकरण, औद्योगिक अधिकरण इत्यादि ।

Ans :- 12 ऐसी दशा में प्रतिवादी उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण के लिए आवेदन कर सकता है ।

Ans :- 13 क्षेत्राधिकार पांच प्रकार का होता है ।
1) मूल क्षेत्राधिकार
2) अपीलीय क्षेत्राधिकार
3) धन संबंधी क्षेत्राधिकार
4) प्रादेशिक क्षेत्राधिकार 
5) विशेष क्षेत्राधिकार 

Ans :- 14 आवेदन यथासंभव सर्वप्रथम अवसर  व विवाधक स्थिरीकरण के समय या उससे पूर्व किया जा सकता है ।

Ans :- 15 न्यायालय अन्य पक्षकारों की आपत्ति सुनने के बाद निर्धारित करेगा कि किस न्यायालय में वाद चलेगा ।

Ans :- 16 हां, ऐसा किया जा सकेगा ।
( धारा 24 (5))

Ans :- 17 ऐसा वाद कारण जिस पर पहले फैसला हो चुका है ।

Ans :- 18 ऐसी विषय वस्तु जिस पर एक पक्षकार कथन करें व दूसरा इनकार करें । प्रत्यक्षत:, सारत विवाधक है।

Ans :- 19 मान्यता प्राप्त अभिकर्ता वह है जो पक्षकार द्वारा प्राधिकृत है या मुख्त्यारनामा धारित करता है, या पक्षकार के नाम से व्यापार अथवा कारोबार करता है ।

Ans :- 20 वाद वादपत्र को प्रस्तुत करके या अन्य विहित प्रकार से दायर किया जाता है उसके तथ्यों के समर्थन में शपथपत्र भी पेश करना होगा । ( धारा 26)
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