False Imprisonment ( मिथ्या कारावास ) Law of Trots

Adv. Madhu Bala
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जब किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर ( चाहे कुछ समय के लिए ही ) बिना किसी पर्याप्त और विधि पूर्ण औचित्य के 


अवरोध डाला जाता है तो उसे मिथ्या कारावास कहते हैं ।






किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई अवरोध डाला गया हो 


वह अवरोध बिना किसी विधि पूर्ण औचित्य के हो |

1) पूर्ण अवरोध ( Total Restraint)

 
भारतीय दंड संहिता में अवरोध चाहे पूर्ण हो या आंशिक वह कार्यवाही के योग्य है परंतु अपकृत्य विधि में किसी एक दिशा में जाने से रोकना  मिथ्या कारावास नहीं माना जाता ।

बर्ड बनाम जोन्स (1854)

सार्वजनिक मार्ग पर रोक, टिकट होने पर ही जाने देना मिथ्या कारावास अपकृत्य नहीं है क्योंकि उस व्यक्ति को केवल एक ही दिशा में जाने से रोका गया है बाकी अन्य दिशाओं में नहीं ।

Note :-
 शारीरिक बल का प्रयोग आवश्यक नहीं धमकी पर्याप्त है ।

पूर्ण अवरोध केवल कुछ पलों का भी हो सकता है ।

वादी का ज्ञान  
इस विषय पर मतभेद रहा है कि क्या अवरोध का ज्ञान वादी को होना चाहिए अथवा नहीं ।

मियरिन्ग बनाम ग्राहम व्हाईट एवियशन कंपनी 1920 

इस माह में कहा गया है कि वादी को ज्ञान होना आवश्यक नहीं है ।

2 ) विधि विरुद्ध अवरोध (Unlawful restraint) 


किसी कैदी की रिहाई के आदेश के बाद भी कारावास में रखना विधि विरुद्ध माना गया है ।

रूदल शाह बनाम बिहार राज्य (1983)

सजा समाप्त होने के बाद भी जेल में रखना मिथ्या कारावास माना गया जिसके लिए प्रतिकार दिलवाया गया ।

भीमसिंह बनाम जम्मूकश्मीर राज्य

 अभियुक्त एक विधानसभा सदस्य था।  जिसे पुलिस ने किसी अपराध के आरोप में पकड़ लिया और विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेने दिया गया था | इस वाद में न्यायालय ने मिथ्या कारावास का अपराध माना | और क्षतिपूर्ति दिलवाई | 

बचाव तथा उपाय ( Defences and Remedies )


मिथ्या कारावास के अभियोग के विरुद्ध निम्नलिखित बचाव उपलब्ध है ।
(क) सम्मति; 
(ख) आत्मरक्षा; 
(ग) अंशदायी उपेक्षा; 
(घ) अतिचारी को रोकना या बेदखल करना;
(ङ) शांति भंग को रोकना; 
(च) माता-पिता सदस्य अधिकार; 
(छ) अवश्यंभावी दुर्घटना; 
(ज) कानूनी प्राधिकार।

मिथ्या कारावास अपकृत्य के विरुद्ध उपाय निम्नलिखित है ।


(क) नुकसानी प्राप्त करने के लिए वाद दायर किया जा सकता है |
(ख) संविधान के अनुच्छेद 32 तथा 226 के अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगाई जा सकती है
(ग) आत्मा सहायता प्राप्त की जा सकती है सेल्फ डिफेंस अर्थात अपनी मुक्ति के लिए युक्तियुक्त बल का प्रयोग स्वयं मिथ्या कारावासित वयक्ति कर सकता है ।

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